Khufiya Review
कारगिल युद्ध के बाद 90 के दशक के अंत में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे, दोनों अगले चुनाव में अपने पड़ोसी बांग्लादेश में अपने सहयोग वाली सरकार बनाने के लिए लड़ रहे थे। पाकिस्तान की ISI और भारत की R&AW एक दूसरे को कमजोर करने की कोशिशें करती हैं और दोनों एजेंसियों के बीच विश्वासघात बड़े स्तर पर चलता रहता है। लेकिन इनके बीच एक ओर ख़ुफ़िया ताकत काम कर रही है जो दोनों एजेंसियों पर अपने डोरे डाले हुए है।
Khufiya Movie Story
R&AW की एजेंट हिना जिसे ऑक्टोपस के नाम से जाना जाता है, जो अपनी वफादारी साबित करने के लिए मिर्जा साहब नाम के मंत्री (आईएसआई का कठपुतली) को मारने वाली है। लेकिन अंतिम समय में उसके साथ धोखा हो जाता है और वो खुद बेमौत मारी जाती है। इसका पता जब हीना की बॉस कृष्णा को लगता है तो वह गुस्से से भर जाती है। हीना न केवल एक एजेंट थी, बल्कि वह कृष्णा से प्यार भी करती थी। अब कृष्णा हीना की मौत का बदला लेने के लिए तैयार है और रॉ के उस विश्वासघाती को ढूंढने के मिशन पर निकल जाती है जिसके कारण हीना की हत्या हुई थी। वो शख्स रवि मोहन है, जो एक एडवांस एजेंट के साथ, एक अच्छा पति, पिता और समर्पित बेटा है लेकिन वो वैसा नहीं है जैसा दिखता है।
Khufiya फिल्म रॉ की काउंटर एस्पियनेज यूनिट के पूर्व प्रमुख अमर भूषण द्वारा लिखित पुस्तक एस्केप टू नोव्हेयर (Escape to Nowhere) पर आधारित है। 2000 के दशक की शुरुआत में, भारत की खुफिया एजेंसी (R&AW) के एक स्रोत ने दावा किया था कि साथी एजेंट रबिंदर सिंह अमेरिका को भारत के डिफेन्स सीक्रेट्स दे रहा था, जिससे दोनों देशों के बीच का संबंध खतरे में पड़ने वाला था। विशाल भारद्वाज ने इरफ़ान खान के लिए लिखी ये पटकथा को एक महिला के रूप में चित्रित करने के लिए कहानी को तब्बू के लिए फिर से तैयार किया।
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Khufiya Movie Cast
Khufiya में तब्बू, अली फजल, वामिका गब्बी, आशीष विद्यार्थी, अतुल कुलकर्णी और नवनींद्र बहल जैसे नामी चेहरे शामिल हैं, जो अपने किरदार को बखूबी निभाने में सक्षम हैं। कृष्णा मेहरा के मुख्य किरदार में तब्बू ने अच्छी एक्टिंग की है, वो अपने किरदार में जमी हैं और वामिका व अजमेरी ने उनका साथ अच्छे से दिया है। इसके अलावा रवि बने अली फजल ने अपने कई लुक से किरदार में जान डाला है। चार्ली चोपड़ा बनकर सोलांग वैली की मिस्ट्री सुलझाने के बाद वामिका गब्बी ने यहाँ भी अपनी खूबसूरती बिखेरने के साथ शानदार प्रदर्शन किया है। रवि मोहन की मां का रोल करने वाली नवनींद्र बहल भी अलग से तारीफ़ की हक़दार हैं। बाकि सहायक कलाकारों ने भी अपने-अपने हिस्से का काम काफी बढ़िया किया है।
Khufiya Verdict
विशाल भारद्वाज मक़बूल, हैदर जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, यहाँ उन्होंने सस्पेंस के चक्कर में अपना लीक खो दिया है। कहानी जानी हुई होने के कारण दर्शक इससे अच्छे से जुड़ नहीं पाते। फिल्म की खींची हुई पौने तीन घंटे की लम्बाई भी इसके विरुद्ध जाती है। एक खास करने की कोशिश में अनचाहे गाने भी डाले गए हैं, जिनका इस सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म में कोई औचित्य नहीं दिखता। लेकिन मसाला सिनेमा से यह फिल्म अलग है और टॉपिक भी अच्छा है, बस कहानी का ट्रीटमेंट कमजोर है। आप डायरेक्टर विशाल भारद्वाज की ये ख़ुफ़िया नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।